राजस्थान का इतिहास - 1. परिचय | Rajasthan History 1. Introduction

राजस्थान का इतिहास - 1. परिचय | Rajasthan History 1. Introduction

परिचय - 
सामान्यतः मानव द्वारा बीत चुकी घटनाओं का गहन अध्ययन करके मानव मस्तिष्क को समझना ही हिस्ट्री यानी इतिहास हैं । 

Note :- " इतिहास का जनक हेरोडोटस को कहा जाता है वे एक इतिहासकार थे । उन्होंने अपने हेरोडोटस ( मृत्यु 425 ई . पू . ) , यूनान के प्रथम इतिहासकार एवं भूगोलवेत्ता थे । इतिहास का विषय पेलोपोनेसियन युद्ध को बनाया था । उनके द्वारा लिखित पुस्तक हिस्टोरिका थी ।"

इतिहास का अध्ययन : - 
इतिहास का अध्ययन करने के लिए इसको भागों में विभाजित किया जाता है - 
1. प्रागैतिहासिक काल 
2. आद्य ऐतिहासिक काल 
3. ऐतिहासिक काल

1. प्रागैतिहासिक काल 
वह काल जिसमें कोई भी लिखित स्रोत नहीं मिला अर्थात् सभ्यता और संस्कृति का वह युग जिसमें मानव की उत्पत्ति मानी जाती है । मानव की उत्पत्ति प्रागैतिहासिक काल से ही हुई है ।

2. आद्य ऐतिहासिक काल - 
आद्य ऐतिहासिक काल वह काल होता है जिसके लिखित स्रोत मिले लेकिन उसको पढ़ा नहीं जा सका जैसे सिंधु घाटी सभ्यता उसमें जो भाषा थी उसको आज तक पढ़ा नहीं गया है इसलिए इस सभ्यता को आद्य ऐतिहासिक काल की श्रेणी में रखते हैं । इस काल की लिपि को सर्पीलाकार लिपि कहते हैं क्योंकि सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि दाई से बाईं ओर लिखी जाती थी । इस लिपि को गोमूत्र लिपि एवं " बूस्टोफिदन " लिपि के नाम से भी जानते हैं । इसी प्रकार ईरान और इराक की मेसोपोटामिया की सभ्यता इसी काल की है । राजस्थान में इस काल की सभ्यता में कालीबंगा की सभ्यता देखने को मिलती है अर्थात् कालीबंगा की सभ्यता इसी काल की सभ्यता है । 

3. ऐतिहासिक काल-
 ऐतिहासिक काल वह काल होता है । जिसमें लिखित स्रोत मिले और उनको पढ़ा भी जा सका जैसे वैदिक काल जिसमें वेदों की रचना हुई थी । और उनको पढ़ा भी जा सकता है ।

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